बलिया: पॉजिटिव मरीजों की रिकवरी रेट और बेहतर हो सके, उनकी दिक्कतें कम हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोनारोधी औषधि किट शुक्रवार को लांच किया गया। इस अवसर पर सक्रिय रोग निरोध का भी शुभारम्भ हुआ, जिसके जरिए कोरोना होने की सम्भावनाएं कम होंगी। जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने कोरोनारोधी औषधि किट में रखी दवाओं के बारे में विस्तार से बताया।
कहा, पॉजिटिव आने के बाद ये सभी दवाएं महत्त्वपूर्ण हैं। अगर डॉक्टर इन दवाओं को खाने के लिए दे रहें हैं तो कत्तई परहेज नहीं करें। डॉक्टर के बताए गए समय पर सभी दवाओं को जरूर खा लें। ऐसा करके मरीज अपनी दिक्कतों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। जिंक टैबलेट व मल्टी विटामिन्स के जरिए भी इम्यूनिटी को बेहतर कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एंटीजन रैपिड किट से पॉजिटिव आने पर एक घंटे के अंदर तथा आरटीपीसीआर से आने पर चार घंटे के अंदर यह दवा मरीज तक पहुंच जाएगी।
इस अवसर पर सीडीओ विपिन जैन ने बताया कि पहले भी फाइलेरिया, मलेरिया या रतौनी की बीमारी को रोकने के लिए दवा दी जाती थी। बच्चों में कीड़ी मारने के लिए दवा दी जाती थी, पर लोग फेंक देते थे। अब कोरोना हो ही नहीं, इसके लिए इवरमेक्टिम को जिस तरीके से खाने की सलाह दी जा रही है, जरूर खाएं।
इवरमेक्टिन दवा से 80 फीसदी से कम होगी कोरोना होने की सम्भावना- जिलाधिकारी ने बताया कि सक्रिय रोग निरोध के अन्तर्गत इवरमेक्टिम दवा खाने से कोरोना होने की सम्भावनाओं को 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। स्वस्थ्य लोग भी इसे जरूर खा लें। खासकर बाहरी समाज में घूमने वाले लोग जरूर खाएँ। सबसे अच्छी बात कि इस दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
यह आम तौर पर हर छह महीने पर खाई जाने वाली कीड़ी की दवा है। ध्यान रहे कि सही तरीके से इस दवा को खाना होगा। गर्भवती महिलाएं व दो वर्ष से छोटे बच्चे इस दवा को नहीं खाएं। इसके तरीके की जानकारी देते हुए सीडीओ विपिन जैन ने बताया कि रात को वसायुक्त खाना खाने के दो घंटे बाद इवरमेक्टिन की 12 एमजी की एक गोली या 6 एमजी की दो गोली खा लें। फिर 7वें तथा 30वें दिन इस दवा को खाएं।
हर सीएचसी—पीएचसी पर भी उपलब्ध है इवेरमेक्टिम- जिलाधिकारी ने बताया कि इवरमेक्टिन दवा हर सीएचसी व पीएचसी पर भी उपलब्ध कराई गई है। कोई भी अपने नजदीकी अस्पताल पर जाकर नि:शुल्क यह दवा ले सकते हैं। बताया कि सामान्य व्यक्ति सक्रिय रोग निरोध के अन्तर्गत इस दवा को खाकर कोरोना होने के चांस को कम करें। बताया कि सक्रिय रोग निरोध यानि रोग ही न हो, ऐसा सफल प्रयोग मलेरिया व रतौनी की रोकथाम में की जा चुकी है।
आक्सीमीटर नहीं रखना जान जोखिम में डालना- जिलाधिकारी ने एक बार फिर दोहराया कि पल्स आक्सीमीटर से आक्सीजन लेवल मापते रहने से खतरनाक स्थिति में जाने वाली सम्भावनाओं का पहले ही पता चल जाएगा। इसलिए हर पॉजिटिव मरीज अपने पास इसको जरूर रखें।
इसे नहीं रखना मतलब जान जोखिम में डालना है। बताया कि होम आइसोलेट मरीज आक्सीजन लेवल मापते रहें। अगर 96 से कम होता है तो सकर्त हो जाएं तथा 92 से कम हो तो कन्ट्रोल रूम को जानकारी लेकर अस्पताल चले जाएं। ऐसा करके अपनी जान बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई केस में मौत हो चुकी है।
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