त्रिपुरा में वामपंथी सरकार को सत्ता से बाहर करने की बीजेपी की कोशिश आखिरकार कामयाब रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने त्रिपुरा में रैलियां और सभाएं की.
पहले तो कहा जा रहा था कि 25 साल की वामपंथी सरकार को सत्ता से हटाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. क्योंकि 2013 के चुनाव में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
यही वजह थी कि बीजेपी ने यहां अपना ट्रंप कार्ड खेला. राजनीतिक सूत्रों की माने तो चुनाव के शुरूआती दिनों में त्रिपुरा बीजेपी के हाथ से फिसल रहा था. यह देख बीजेपी आलाकमान ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को त्रिपुरा भेजने का फैसला किया.
माना जा रहा है कि योगी यहां ट्रम्प कार्ड साबित हुए. दरअसल, योगी त्रिपुरा में स्टार प्रचारक थे. इसका एक बड़ा कारण यह था कि त्रिपुरा में नाथ संप्रदाय के मंदिर और अनुयायियों की संख्या काफी अधिक है.
आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो त्रिपुरा में पिछड़े वर्ग की आबादी करीब 30 प्रतिशत है. इसके अलावा भाजपा की रणनीति अन्य हिंदू समुदायों को अपनी तरफ खींचने की थी. इसमें बीजेपी कामयाब भी हुई.
गौरतलब है कि त्रिपुरा में पिछड़ी जातियों के लिए कोटा नहीं है, इसलिए अनुयायी चाहते थे कि उन्हें पिछड़ी जाति का कोटा दिया जाए. नाथ संप्रदाय के इसी मुद्दे को लेकर बीजेपी ने त्रिपुरा में योगी को उतारने का बड़ा दांव खेला और सफल भी हुए.
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