एक साल पहले आई कोरोना महामारी ने पूरे देश में तबाही मचाई। इस कोरोनाकाल में डरा देने वाली तस्वीरें आई। चिताओं से भरे श्मशानों की तस्वीरें, लाशों से पटे गंगा के घाटों-मैदानों की तस्वीरें। कोरोना कई परिवारों को लील गया। परिवार उजड़ गए। किसी के सर से माता- पिता का साया उठा तो किसी बुजुर्ग की लाठी उसके बच्चे अब नहीं रहे। ऐसे लोगों की मदद के लिए सरकार लगातार कोशिशें कर रही है। इसी बीच सरकार की ओर से एक और खास अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें सरकार ने कोविड-19 से मरने वाले ऐसे लोगों जिनके पास भूमि नहीं है, पात्र होने पर उन्हें भूमि आवंटन और आवास देने का फैसला लिया गया है। साथ ही ऐसे लोगों के वरासत का कार्य भी अभियान चलाकर करने के निर्देश दिए गए हैं। लेखपालों के माध्यम से ऐसे लोगों को चिह्नित किया जाएगा। कोरोनाकाल ने कई परिवारों को ऐसे ज़ख्म दिए जिनका भर
पाना मुश्किल है। लोगों की रोजी-रोटी छिन गई। परिवार के मुखिया के चले जाने से बच्चों पर खाने का संकट आ गया। शहर में लगातार कोरोना से मृतकों के परिवारजनों को मुआवजे की मांग की जा रही थी। लेकिन राज्य सरकार ने इससे इनकार कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। यहां कोर्ट ने भी मुआवजा देने के लिए सहमति जताई थी। हालांकि सरकार की ओर से अभी इस दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सीआरओ विवेक कुमार श्रीवास्तव ने शासन की योजना की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने कोविड से मृत ऐसे लोग जिनके पास भूमि और आवास नहीं हैं, उन्हें राहत देने का फैसला लिया गया है। जिसके मुताबिक कोविड-19 से मरने वालों के परिवार को राहत
प्रदान करने के लिए अभियान चलाकर ऐसे परिवारों का वरासत करने का निर्देश दिया गया है। जिन आश्रितों के पास भूमि नहीं है और वह पात्रता की श्रेणी में आते हैं तो उन्हें पट्टे पर भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। आवासहीन है और पात्र हैं तो संबंधित विभाग की ओर से उन्हें आवास भी उपलब्ध कराया जाएगा। उक्त योजनाओं का लाभ देने के लिए लोगों को चिह्नित करने का कार्य लेखपालों को सौंपा गया है।शासन से गाइडलाइन मिली है। उसके अनुसार पात्रों को चिह्नित कराया जा रहा है। चिह्नित लोगों को पात्रता के आधार पर लाभ दिलाया जाएगा।
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