बलिया : देश में चुनावी समर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उज्जवला योजना चर्चा में हैं। बीजेपी के नेता अपनी चुनावी रैलियों में इस बात का प्रचार-प्रसार जमकर कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री की इस योजना से ग़रीब महिलाओं को मिट्टी के चूल्हे से निजात मिली है।
बीजेपी नेताओं का दावा है कि इस योजना से घर-घर में रसाई गैस के चूल्हे पहुंचा दिए गए। लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2016 में इस योजना की शुरुआत जिन लोगों को सिलेंडर और गैस चूल्हे देकर की गई थी, उनमें से कई लोगों के यहां अब भी मिट्टी के चूल्हे जल रहे हैं।
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ऐसे ही लोगों में एक नाम बलिया की गुड्डी देवी का है। जिन्हें प्रधानमंत्री ने एक मई 2016 को अपने हाथ से गैस कनेक्शन सौंपा था और उन्हें इस योजना का ब्रांड अंबेसडर बनाया था। लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी गुड्डी देवी को मिट्टी के चूल्हे से निजात नहीं मिली। वह आज भी खाना मिट्टी के चूल्हे पर बनाने पर मजबूर हैं।
उज्ज्वला योजना में एक परिवार को साल में 12 सिलेंडर मिलते हैं। इस योजना के तहत गरीब परिवारों को सिलेंडर सब्सिडी पर मिलते हैं। सब्सिडी के पैसे सिलेंडर खरीदने के बाद खाते में आते हैं। यानी पहले सिलेंडर को उसके बाज़ार के मूल्य पर खरीदना पड़ता है। ज़ाहिर है इस स्थिति में गरीब परिवारों के लिए इसे खरीद पाना मुश्किल है।
भारत सरकार ने 2016 में उत्तर प्रदेश के बलिया से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की। उज्ज्वला योजना का मकसद था घर-घर रसोई गैस पहुंचाना। लेकिन योजना के तीन साल बीत जाने के बाद हक़ीक़त ये है कि जिन घरों में सिलेंडर और गैस चूल्हा पहुंचा, उनमें से कई घरों में अब भी मिट्टी के चूल्हे जल रहे हैं।
गुड्डी देवी की बात करें तो उन्होंने अब तक सिर्फ 11 सिलेंडर ही भरवाए हैं क्योंकि उनके पास हमेशा इतने पैसे नहीं होते कि सिलेंडर भरवाया जा सके। इस योजना की सच्चाई भी यही है। हालाँकि, उज्जवला योजना से गुड्डी को उतनी मदद नहीं मिली, जितनी उन्हें उम्मीद थी। लेकिन उनका दावा है कि पीएम मोदी को उनका समर्थन है। गुड्डी कहती हैं कि, “मोदी ने हमारे लिए अच्छा किया है। उनके इरादे सही हैं। जब मेरे पास पैसे होंगे तो मैं सिलेंडर रिफिल करा लूंगी।
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नहीं तो मैं इसे कैसे रिफिल कराऊंगी? क्या मुझे अपने बच्चों की फीस का भुगतान करना चाहिए या क्या मुझे गैस सिलेंडर रिफिल करवाना चाहिए? अगर मैं मोदी जी से दोबारा मिली तो मैं उनसे कीमतें कम करने के लिए कहूंगी”।
उन्होंने हंसते हुए कहा, “शायद वह हमें मुफ्त में सिलेंडर दे दें”। खैर गुड्डी देवी योजना से मदद न मिलने के बावजूद पीएम मोदी से मायूस न हों लेकिन पीएम मोदी की उज्जवला योजना की हकीकत ये है कि उनकी इस महात्वकांक्षी योजना से लोगों को लाभ मिलता नज़र नहीं आ रहा।
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गांव में खाना पकाने वाले परंपरागत ईंधन आसानी से मिल जाते हैं जिसके चलते लोग एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल करने से बचते हैं। गैस वितरण एजेंसी वाले भी यही बात मानते हैं।
एजेंसी के एक कर्मचारी अखिलेश गुप्ता ने एनडीटीवी को बताया कि, “रिफिल की दर 10 से 15 प्रतिशत के बीच होती है। यह एक मासिक औसत है। कुछ लोग नियमित होते हैं, लेकिन दूसरे लोग बिल्कुल भी रिफिल नहीं लेते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे गरीब हैं और उनके पास गाय के गोबर के केक जैसे अन्य विकल्प हैं। दर कम होनी चाहिए ताकि हर कोई इसे खरीद सके”।
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