बलिया- ये ‘तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी’ तो नहीं !

बलिया लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार का सस्पेंस खत्म हो गया। पार्टी ने यहां अपने कद्दावर नेता नीरज शेखर का टिकट काट कर पूर्व विधायक सनातन पाण्डे को अपना उम्मीदवार बनाया है।

पार्टी के इस कदम को ब्राह्मण वोटर्स को रिझाने वाला बताया जा रहा है। इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं को किंग मेकर के रूप में देखा जाता है, हालंकि एक तथ्य यह भी है कि इस सीट पर कभी किसी ब्राह्मण प्रत्याशी को जीत नहीं मिली है।

ऐसे में सपा का ये दांव उसे भारी भी पड़ सकता है। वहीं सपा के इस फैसले से नीरज शेखर के समर्थकों में ज़बरदस्त नाराज़गी है। युवाओं में इसे लेकर बेहद ग़ुस्सा था। वैसे तो लोग माइक के सामने बोलने को तैयार नहीं हो रहे हैं लेकिन सोशल मीडिया के जरिये धीरे-धीरे उनका आक्रोश और ग़ुस्सा सामने आने लगा।

जानकारों का मानना है कि पार्टी ने ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए सनातन पाण्डे को तो टिकट दे दिया है, लेकिन पार्टी के इस कदम से उसका कोर वोट बैंक नाराज़गी की वजह से खिसक सकता है।

वही अब तक इस मामले पर नीरज शेखर का कोई बयान सामने नहीं आया है। बलिया खबर ने भी नीरज शेखर से समपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। कहीं न कहीं बलिया में ‘तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी’ बलिया में सियासत को लेकर बहुत कुछ बयान कर रही है।

वहीँ अगर 2007 और 2009 के चुनावों की बात करें तो नीरज शेखर की जीत में पिछड़ों और मुसलमानों ने अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि नीरज शेखर के टिकट कटने से वोटों का बिखराव हो सकता है। साथ ही नीरज जिस समुदाय से आते हैं उस समाज में भी नाराजगी देख जा रही है।

उधर, ब्राह्मण प्रत्याशियों के इतिहास की बात करें तो, यहां से कभी किसी ब्राह्मण को कामयाबी नहीं मिली है। 1998 और 1999 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां ब्राह्मणों पर भरोसा जताते हुए रामकृष्ण मिश्र को चुनावी मैदान में उतारा था।

लेकिन उन्हें चंद्रशेखर के सामने हार का ही मुंह देखना पड़ा था। इतिहास को देखते हुए नीरज शेखर की जगह सनातन पाण्डे को टिकट दिए जाने का फैसला थोड़ा हैरान करने वाला है।

नीरज शेखर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र हैं। वह पार्टी के टिकट से दो बार चुनाव जीत भी चुके हैं। उनके पिता चंद्रशेखर ने यहां से 8 बार जीत दर्ज की है। हालांकि नीरज शेखर 2014 में मोदी लहर में इस सीट को बचाने में नाकाम रहे थे।

तब बीजेपी के भरत सिंह ने यहां बड़ी जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार बीजेपी ने भी अपने प्रत्याशी को बदल दिया है। बीजेपी ने भरत सिंह की जगह वीरेंद्र सिंह मस्त को टिकट दिया है।

बता दें कि बलिया लोकसभा सीट पर अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होने हैं। इस सीट के लिए 19 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। अभी तक यहां मुख्य लड़ाई बीजेपी और महागठबंधन के बीच थी, लेकिन नीरज शेखर का टिकट कटने से यहां की हवा में थोड़ा बदलाव नज़र आ रहा है।

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