बलिया डेस्क : ‘आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो… इक तवज्जोह चाहिए इंसाँ को इंसाँ की तरफ़’… हफ़ीज़ जौनपुरी की इस हसरत को बलिया के रहने वाले सागर सिंह अपने अमल से बख़ूबी परवान चढ़ा रहे हैं। वो हर उस इंसान के हमदर्द बन गए हैं, जो बेआसरा और बेसहारा हैं। सागर सिंह उन लोगों की मदद करते हैं, जिनके बारे में कोई सोचता भी नहीं है। वो सड़कों पर घूमने वाले मानसिक रुप से वांछित लोगों और भिखारियों के बारे में जानकारी जुटाते हैं और उनकी देखरेख कर उन्हें उनके घर तक पहुंचाते हैं।
सागर सिंह अबतक तकरीबन ढ़ेड़ दर्जन ऐसे लोगों को उनके घर तक पहुंचा चुके हैं। हाल ही में उन्होंने बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले मोहम्मद नईम को उसके घर पहुंचाया। मोहम्मद नईम पिछले ढ़ाई साल से घर से लापता था। मानसिक रूप से वांछित नईम पिछले कुछ महीनों से बलिया के ओवरब्रिज पर रह रहा था।
ओवरब्रिज पर बैठा नईम
सागर सिंह से मुलाकात से पहले नईम की हालत बेहद खराब थी। वह ब्रिज पर अधनग्न ही पड़ा रहता था और भीख में जो मिल जाता था वही खाकर ज़िंदगी गुज़ार रहा था। नईम की मानसिक स्थिति खराब होने की वजह से कोई उसके करीब नहीं जाता था। लेकिन सागर सिंह ने हिम्मत जुटाकर उससे मुलाक़ात की और उसके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की। लेकिन मुलाकात के बावजूद सागर को ज़्यादा जानकारी नहीं मिल सकी।
परिजनों के बलिया पहुंचने के बाद नईम को ब्रिज से उठाया गया। जिसके बाद सागर के घर पर ही नईम को नहलाया-धुलाया गया और दाढी-बाल बनाकर उसे बैठाया गया। सागर ने नईम के परिजनों को चाय-नाश्ता कराया और इसके बाद परिजन नईम को गाड़ी पर बिठा कर घर लौट गए।
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