बलिया में मंगलवार को अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम (एससीएसटी एक्ट) से सम्बन्धित उच्चतम न्यायालय की ताजा व्यवस्था का उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने समर्थन किया है. राजभर ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट को लेकर कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है. उन्होंने कहा कि हरिजन एक्ट के तहत मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारी की जांच के बाद ही किसी मामले का मुकदमा दर्ज होना चाहिए. जांच के बाद जो भी दोषी हैं, उसी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. राजभर ने कहा कि मै पिछले 14 सालों से कह रहा हूं कि निर्दोष लोगों को नहीं फंसाया जाए.
योगी सरकार के मंत्री ने दहेज हत्या के मामले में बोलते हुए कहा कि झगड़ा दो लोगों के बीच में होता है ओर फंसाया जाता है 7-8 लोगों को. इस लिए मुकदमा हरिजन एक्ट का हो या दहेज हत्या का हमेशा मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारी की जांच के बाद ही किसी मामले का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. राजभर ने कहा कि इस कानून का भी दहेज उत्पीड़न की तरह ही दुरुपयोग किया जाता है और अक्सर बेगुनाह लोग भी उत्पीड़ित होते हैं.
दरअसल, 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है. जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है, उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से हो सकेगी. हालांकि, कोर्ट ने यह साफ किया गया है कि गिरफ्तारी की इजाजत लेने के लिए उसकी वजहों को रिकॉर्ड पर रखना होगा.
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