बलिया शहर में मानसून की पहली बारिश ने ही नगर पलिका के दावों की पोल खोल दी है। 2 दिनों से हो रही हल्की बारिश से ही पूरे नगर में जलभराव होने लगा है। सड़कों पर मौजूद गड्ढों में पानी जमा हो गया है, जिससे लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है।
सबसे ज्यादा परेशान शहर के 12 मोहल्लों को हो रही है। जिला जेल, एसपी कार्यालय, पुलिस आवास, पुलिस लाइन, आवास विकास कॉलोनी, टैगोर नगर, हरपुर मिड्ढी, जापलिनगंज, बेदुआ, सतनीसराय, राजपूत नेउरी आदि मोहल्लों में पहली ही बारिश में हालात खराब हो गए हैं।
अभी तो बारिश की शुरुआत ही हुई है, आने वाले दिनों में मानसून के रफ्तार पकड़ते ही बलिया का हाल बेहाल हो जाएगा। बता दें कि पिछली बार बरसात ने जमकर तबाही मचाई थी। बारिश इतनी हुई कि कई पुलिस चौकियां महीनों पानी में डूबी रही, स्टेडियमें में पानी भरा रहा। कई गलियां तालाब बन गई। यहां तक कि जिला जेल भी पानी से घिर गया।
इसके बाद नपा ने जलनिकासी वयवस्था सुधारने और संसाधन बढ़ाने के दावे किए थे। लेकिन कोई काम ठीक तरीके से नहीं हुआ। नपा ने नाले-नालियों का निर्माण कराया लेकिन वह काम अच्छे से नहीं हुई। यहां तक कि नालियों का सफाई काम भी अधूरा पड़ा है। श्रीराम विहार कॉलोनी में नाला सफाई हो गई लेकिन नाली से निकला मलबा अभी तक नहीं हटाया गया। इसके चलते हल्की बारिश के बाद मलबा दोबारा नाली में चला गया है।
अब हालात यह है कि रहवासी पंप के जरिए पानी निकाल रहे हैं। एसपी ऑफिस के आसपास के मोहल्लों में भी यही हाल है। काजीपुरा मोहल्ला बीते 4 सालों से जलभराव का सामना कर रहा है लेकिन अभी तक जलनिकासी की व्यवस्था नहीं की। वहीं नगर पालिका के जिम्मेदार भी खामोश हैं। EO निलंबित हो चुके हैं। 5 दिन पहले आए JE को अभी संसाधनों की जानकारी नहीं है।
इधर नगर पालिका चेयरमैन अजय कुमार का कहना है कि नाला-नालियों की सफाई, निर्माण और अन्य काम पूरा होने के कगार पर है। जल जमाव से निजात दिलाने के लिए तैयारी पूरी है। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ नजर नहीं आता।
शहर के हालात बारिश में इतने खराब हो जाते हैं कि कई कॉलोनियों के रहवासियों को दूसरे मोहल्ले में किराए पर रहने को मजबूर होना पड़ता है। शहर के काजीपुरा, आवास विकास कॉलोनी, हरपुर मिड्ढी, घनश्याम नगर कॉलोनी के हालात बारिश में बदतर हो जाते हैं जिससे यहां के रहवासी पलायन करने लगते हैं।
जलजमाम से निपटने नपा की तैयारियों पर गौर करें तो नपा के पास केवल 25 ही मोटर पंप हैं, उनकी हालत के बारे में नगर पालिका के जिम्मेदारों को पता ही नहीं है। तत्कालीन इओ के निलंबित होने के बाद अभी तक कुर्सी खाली है। ऐसे में बारिश में जलजमाव से कैसे मुक्ति मिलेगी यह बड़ा सवाल है।
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