यूपी में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के सभी टेंडर कैंसिल कर दिए गए हैं. ये फ़ैसला मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में हुआ. पिछले ही महीने आठ कंपनियों को एक्सप्रेसवे बनाने का ठेका मिला था. टेंडर रद्द करने के पीछे सड़क बनाने की लागत कम करना बताया जा रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि 30 महीनों में एक्सप्रेसवे बन कर तैयार हो जाए. लखनऊ से ग़ाज़ीपुर तक एक्सप्रेसवे बनाने के लिए ज़मीन अधिग्रहण का काम अखिलेश यादव के राज में शुरू हुआ था. वैसे तो ये आयडिया बीएसपी सुप्रीमो मायावती का है.
योगी आदित्यनाथ सीएम रहते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का काम पूरा कर लेना चाहते हैं. पिछले ही महीने पीएम नरेन्द्र मोदी के हाथों इसका शिलान्यास कराने की योजना थी. लेकिन ऐसा हो न सका. छह लेन की लखनऊ से ग़ाज़ीपुर तक का ये एक्सप्रेसवे 340 किलोमीटर की होगा. इस पर 23,349 करोड़ रुपये ख़र्च होने का अनुमान है. बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, फ़ैज़ाबाद, अंबेडकरनगर, आज़मगढ़, मऊ होते हुए ये हाईवे ग़ाज़ीपुर तक जायेगी. योगी के कहने पर इसे गोरखपुर से भी जोड़ा जा रहा है.
यूपी के सीएम चाहते हैं कि हर हाल में ये एक्सप्रेसवे 30 महीने में पूरा हो जाए और इसे पब्लिक के लिए खोल दिया जाए. लेकिन बार-बार तकनीकी कारणों के बहाने टेंडर रद्द करने से एक्सप्रेसवे बनने में देरी हो सकती है. आठ कंपनियों को पिछले ही महीने इस सड़क को बनाने के लिए ठेका दिया गया था. तब यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा था, “हम पर तरह-तरह के आरोप लगते थे. लेकिन उन्हीं कंपनियों को ठेके मिले, जिन्हें हमने भी काम दिया था. हमारे जाने के बाद कोई काम नहीं हुआ है.”
योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के बहाने अखिलेश के आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे का जवाब देना चाहते हैं. लेकिन टेंडर रद्द होने से निर्माण काम शुरू होने में तीन महीने की और देरी हो जाएगी. वैसे एक्सप्रेसवे बनाने वाली संस्था यूपीडा के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी का दावा है कि टेंडर कैंसिल होने से सिर्फ़ 45 दिनों की देरी होगी. टेंडर रद्द होने पर राजनैतिक गलियारों में तरह तरह की चर्चा हो रही है. हाल वही है कि जितने मुँह, उतनी बातें.
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