बलिया के बाढ़ग्रस्त इलाकों का जलशक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह ने हवाई सर्वेक्षण किया। इसके बाद उन्होंने कलेक्ट्रेट सभागार में प्रशासनिक व सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की साथ ही बचाव व राहत कार्याें की समीक्षा भी की। उन्होंने बाढ़ प्रभावित इलाकों में समय से राहत सामग्री, पका-पकाया भोजन के पैकेट, स्वच्छता, मानव व पशु सुरक्षा के लिए जरूरी दवाओं की उपलब्धा व दवा किट का वितरण आदि के सम्बन्ध में कड़े दिशा-निर्देश दिए। साथ उन्होंने जिला प्रशासन की तैयारियों पर संतोष जताते हुए जिलाधिकारी अदिति सिंह के नेतृत्व की भी जमकर सराहना की।
जहां पानी आ गया है वहां तो तैनात रहें ही, जहां पानी आने वाला हो, वहां के लिए भी तैयारी पहले ही कर लें। अनुमन्य राहत सामग्री का वितरण युद्धस्तर पर हो। इसलिए जरूरी है कि पर्याप्त मात्रा में राहत सामग्री बनाकर तैयार कर लिया जाए। विस्थापित परिवार को पका पकाया फुड पैकेट दिया जाए। जरूरतमंदों को साड़ी व अन्य जरूरी कपड़े भी दे सकते हैं। इसमें सामाजिक सहयोग भी लें। शुद्ध पेयजल सबसे जरूरी सेवाओं में एक है, इसलिए आवश्यकता पड़े तो बड़े गैलेन के माध्यम से उपलब्ध कराने का प्रयास करें। जलभराव वाले क्षेत्रों में बिजली काट दी जाती है, ऐसे में वहां प्रकाश
व्यवस्था के लिए टार्च, मोमबत्ती, लालटेन, मिट्टी तेल, इमरजेंसी लाईट की व्यवस्था जरूर कर लें। टापू बने गांवों में जनरेटर के माध्यम से प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। हर गांव में एकाध बैट्री की व्यवस्था कर दें, ताकि लोग मोबाइल चार्ज कर सकें। उन्होंने सीडीओ को निर्देश दिया कि पंचायत सचिव, रोजगार सेवक, निगरानी समिति व स्वच्छता समिति को आपस में समन्वय बनाकर गांव में बैठकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान कराने का प्रयास सुनिश्चित कराएं। बाढ़ प्रभावित हर गांव में एक-एक नोडल तैनात कर उनकी जवाबदेही तय कर दिया जाए।
डीपीआरओ को निर्देश दिया कि स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, ताकि संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोका जा सके। इसके लिए युद्धस्तर पर फाॅगिंग, छिड़काव, ब्लीचिंग कराते रहें। एडीएम से कहा कि कंट्रोल रूम 24 घंटे संचालित रहे और उस पर आने वाली सूचना पर तत्काल रिस्पांस मिले। बैठक में बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि बैरिया क्षेत्र के 8 गांवों की करीब 25 से 30 आबादी प्रभावित है। लेकिन, सुदूर इलाकों में एक भुवालछपरा व नौरंगा के लोगों को कस्बों में आने के लिए दो घंटे नाव से आना पड़ता है। इसलिए वहां चिकित्सा के क्षेत्र में सुसज्जित व्यवस्था सबसे जरूरी है।
तटबंधों पर कैंप करें इंजीनियर- जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि पानी के बढ़ने की अभी भी सम्भावना है। इसलिए बाढ़ खंड के सभी इंजीनियर तटबंधों पर कैंप करें। तटबंधों पर लगातार भ्रमण कर संवेदनशील जगहों पर नजर रखें। डेंजर जोन जहां है वहां जनरेटर लगवाकर प्रकाश व्यवस्था कर निगरानी करें। जनप्रतिनिधियों से भी सम्पर्क बनाकर रहें और उनसे भी राय-मशविरा करते रहें।
मानव संग पशुओं की भी करनी है चिंता– जलशक्ति मंत्री ने कहा कि बाढ़ की आपदा में मानव जाति संग पशुओं की भी उतनी ही चिंता करनी है। सीवीओ को निर्देश दिए कि पशुओं के लिए भी चारा, दवाई, टीकाकरण की व्यवस्था अत्यंत जरूरी है। सीएमओ से कहा कि सभी सीएचसी-पीएचसी पर स्टाॅफ तैनात रहे। हर बाढ़ चैकी पर स्वास्थ्य विभाग की टीम जरूरी दवाओं के साथ तैनात रहे। आवश्यकत दवाओं से लैस किट तैयार रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल वितरण की जा सके। गर्भवती महिलाओं को क्या सावधानी बरतनी है, इसके लिए जागरूक किया जाए।
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