बलिया में गोंड जनजाति समुदाय के लोग जाति प्रमाण पत्र जारी करने की मांग को लेकर सदर मॉडल तहसील पर अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। यह आंदोलन आल गोंडवाना स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आगसा) के नेतृत्व में चल रहा है, जिसमें समुदाय के सदस्य आरोप लगा रहे हैं कि लेखपाल और तहसीलदार सरकारी आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग ने 2 दिसंबर 2024 को एक शासनादेश जारी किया था, जिसमें पहले के निर्देशों का पालन करने को कहा गया था। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम से पहले के भू-राजस्व अभिलेखों में उनकी जाति ‘गोंड’ दर्ज है, और ये दस्तावेज जिला कलेक्ट्रेट तथा अन्य संबंधित कार्यालयों में उपलब्ध हैं। इसके बावजूद, अधिकारियों द्वारा उनके जाति प्रमाणपत्र में मनमाने तरीके से बदलाव किया जा रहा है।
गोंड पार्टी के संरक्षक सुमेर गोंड ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय बैरिया थाने पर शहीद हुए रामजन्म गोंड का उदाहरण देते हुए कहा कि वे भी अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए उसी दृढ़ता से संघर्ष करेंगे। धरने में समुदाय के कई प्रमुख सदस्य, जैसे गुलाबचंद्र गोंड, संजय गोंड और बच्चा लाल गोंड, भी शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग है कि दोषी अधिकारियों पर संविधान के खिलाफ कार्य करने और अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए।
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