जहाँ त्रिपुरा में पिछले विधासभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी, इस बार राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इस बार खबर लिखे जाने तक बीजेपी त्रिपुरा में 41 सीटों पर आगे चल रही थी। यूपी के सीएम योगी आदित्नाथ ने भी त्रिपुरा में बीजेपी की ऐतिहासिक सफलता की बधाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी कार्यकर्ताओं को दी, लेकिन बीबीसी की खबर के मुताबिक पार्टी की इस सफलता के पीछे एक शख्स का बड़ा हाथ है, वह है त्रिपुरा में बीजेपी का मराठा चेहरा सुनील देवधर। जन्म से मराठी सुनील देवधर ने पिछले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर के राज्यों में पार्टी की ऐसी बिसात बिछाई कि त्रिपुरा में बाजेपी ने विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान सुनील देवधर को वाराणसी भी भेजा था। आखिर सुनील देवधर ने पार्टी के लिए इतना बड़ा चमत्कार कैसे किया?
रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनील देवधर ने पूर्वोत्तर के राज्यों में लोगों से अच्छी तरह जुड़ने के लिए उन्हीं की भाषाएं सीखीं। उन्होंने बूथ स्तर पर जाकर काफी काम किया। वह मेघालय के खासी और गारो जनजाति के लोगों से उन्हीं की तरह बात करने लगे और इसी के साथ उन्होंने बांग्ला भी बोलना सीखा। इस प्रकार वह स्थानीय लोगों से उन्हीं की भाषा में बात करके उनके बीच पकड़ बना सके। सुनील देवधर ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने बूथ स्तर पर काम किया और त्रिपुरा में वाम दलों, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस दलों से भी लोगों को बीजेपी में जोड़ना शुरू किया।
उन्होंने बताया कि यहां कांग्रेस में अच्छे नेता रहे हैं और उन्हें नाराज मार्क्सवादी नेताओं को भी पार्टी में जोड़ने का मौका मिला। इससे राज्य में बीजेपी का दायरा बढ़ता गया और पार्टी मजबूत होती चली गई। विधानसभा चुनाव से पहले वाम दलों, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कई नेता बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसका फायदा बीजेपी को मिला। बता दें कि त्रिपुरा में विधानसभा की 60 सीटें हैं। 41 पर बीजेपी आगे है और 18 पर वाम दल आगे चल रहे हैं, लेकिन बीजेपी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त लग रही है और पार्टी नेता जश्न की तैयारियां कर रहे हैं।
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